पर्यावरण शिक्षा


बाल भवन के पर्यावरण शिक्षा अनुभाग का उद्देश्य बच्चों में पर्यावरण से संबंधित खतरों तथा उनका हल निकालने के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना है। इसका यह भी उद्देश्य है कि बच्चों में प्रकृति के प्रति प्यार, चिन्ता तथा जिम्मेदारी की भावना विकसित की जाए।

पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 श्री राजीव गांधी द्वारा 19 नवम्बर 1985 में हरित वाहिनी आन्दोलन की शुरूआत की गई। हरित वाहिनी अथवा बच्चों की हरित दल बाल भवन के पर्यावरण कार्यक्रम का एक अंग है। हरित दल न केवल पर्यावरण रक्षा के संदेश को प्रसारित करता है, अपितु, अपने प्रयासों द्वारा अन्य लोगों को भी प्रोत्साहित करता है। बीजों का संग्रहरण, प्रकृति की हलचल, पक्षियों को निहारना, प्रकृति के स्वरूप का वैज्ञानिक विश्लेषण, सृजनात्मक लेखन, पेंटिंग, पोस्टर बनाना, पर्यावरण संबंधी रैलियां/कूच, महान वैज्ञानिकों द्वारा व्याख्यान, पर्यावरण पर फिल्म शो, राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय, दिल्ली का भ्रमण, दिल्ली रिज, जैविक वनस्पति पार्कों, ऊर्जा पार्कों, चिडि़याघर पाकोंर्, स्थानीय तालाबों और नदियों पर भ्रमण, वृक्षारोपड तथा पर्यावरण विषयक अभियान इस अनुभाग की कुछेक गतिविधियां हैं। बच्चों को पर्यावरणीय अध्ययन के लिए टै्रकिंग और कैंपिंग पर ले जाया जाता है। मांडी स्थित जवाहर बाल भवन और 52 बाल केन्द्र पर्यावरण सम्बंधी जागरूकता के संदेश के प्रचार-प्रसार में संलिप्त है।

इन गतिविधियों के पीछे यही दर्शन अन्तर्निहित : कि बच्चों को पर्यावरण की सम्भावनाओं एवं विभिन्न प्रयोगात्मक प्रयोजनों के लिए न्यून लागत पर्यावरण-अनुकूल सामग्री के के निर्माण हेतु अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराया जाए। उदाहरण के लिए पारंपरिक कार्यक्रम अपने आस-पास कला के सृजन के लिए ग्रामीण और आदिवासी लोगों द्वारा प्रयुक्त विभिन्न शैली और सामग्री की संभावनाये तलाशने में मदद करती है। मधुबनी जैसी पारंपरिक पेंटिंग में फूलों व अन्य पौधों से रंग बनाने में स्थानीय सामग्री का उपयोग किया जाता है। पुस्तकालय में सृजनात्मक लेखन में पर्यावरण पर कवितायें, निबन्ध तथा कहानियां लिखना शामिल है। फोटोग्राफी अनुभाग में शिक्षणेत्तर कार्य के रूप में प्रकृति की फोटोग्राफी सिखाई जाती है।

यह अनुभाग कक्षा में सृजनात्मक एवं वैज्ञानिक गतिविधियों के माध्यम से पर्यावरण के समझने के लिए अध्ययन एवं पद्धतियों के विभिन्न आयामों को खोलता है। इस अनुभाग के अन्तर्गत सभी संसाधनगत सामग्री और दौरे राष्ट्रीय बाल भवन द्वारा वित्तपोषित किए जाते हैं। प्राथमिक एवं माध्यमिक स्तर के बच्चों के लिए गतिविधियों में निम्नलिखित शामिल है :

• कीट व पशुओं के चित्रों में रंग भरना।

•वर्णाक्षरों का इस्तेमाल करके पशुओं व पौधों के चित्र बनाना।

• फील्ड दौरों तथा विशेष कार्यशालाओं के दौरान सर्वेक्षण।

• राष्ट्रीय युवा पर्यावरण सम्मेलन के दौरान किसी थीम पर बच्चों की विशेष अनुसंधान आधारित परियोजनायें बच्चों को प्रदान की जाती है। यह सम्मेलन प्रतिवर्ष एक निश्चित थीम पर आयोजित होता है और बच्चों को थीम के अनुसार किसी विशिष्ट स्थानीय जगह पर ले जाया जाता है, जहां विशेषज्ञों के साथ पारस्परिक सत्र रखे जाते हैं। इसके अंग के रूप में बच्चे दिए गए थीम पर व्यापक दौरा करते हैं और विशिष्ट दिए गए थीम के बारे में गैर सरकारी संगठनों/सरकारी संगठनों में इन्टरनेट के जरिए आंकड़े एकत्रित किये जाते हैं और पुस्तक के रूप में सम्मेलन में विस्तृत जानकारी रखी जाती है। राष्ट्रीय बाल भवन ने हाल में इन परियोजना के संकलन को पुस्तक आकार में प्रकाशित किया है। पक्षियों के बारे में ‘विहंगम दृष्टि’ पुस्तक में राज्य बाल भवन के बच्चों द्वारा लिखे लेखों का एक संग्रह है। इस पुस्तक का 5 जून 2006 को विश्व पर्यावरण दिवस के दौरान विमोचन किया गया था। राज्य बाल भवन के बच्चों द्वारा ‘प्रकृति के लिए हमारी गुहार’ नामक पुस्तक में सर्वोत्तम पेंट किए गए पोस्टरों और बैनरों का संकलन है और इसे भी पृथ्वी दिवस कार्यक्रम के दौरान जारी किया गया था।

• पेंटिंग पोस्टर, बैनर और नारा लिखने के लिए भी स्थानीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। 2007 में राष्ट्रीय स्तर पर बच्चों द्वारा बनाए गए पृथ्वी दिवस के पोस्टरों को राष्ट्रीय बाल भवन के संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया है।

• सृजनात्मकता एवं प्रकृति।

•पर्यावरण सम्बंधी समस्यायें तथा विविध सोच के जरिए उनका समाधान।

• प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम।

• प्रकृति का अध्ययन।

पर्यावरण अनुभाग के साथ पैराबोलिक सौर कुकर, बक्सा टाईप सौर कुकर, प्लांट प्रैस, कागज रिसाइक्लिंग यूनिट आदि जैसे संसाधन भी हैं। बच्चों को अपनी निजी प्रकृति सामग्री विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और पर्यावरण से संबंधित मॉडलों के निर्माण के लिए अनुभाग से सुझाव/मार्गदर्शी-निर्देश के लिए परामर्श कर सकते है। इस अनुभाग में इन्टरनेट के जरिए पर्यावरण गतिविधियों का डाटा-बेस बनाने तथा पर्यावरण से सम्बंधी कार्य आयोजित करने हेतु के लिए निरन्तर प्रयास किए जा रहे हैं।

राष्ट्रीय बाल भवन ने आत्मनिर्भरता की दिए में भी अपने प्रयास शुरू किए हैं - पेपर रिसाईरक्लिंग यूनिट विभिन्न अनुभाग से उपलब्ध वेस्ट पेपर से हैण्डमेड पेपर का उत्पादन किया जाता है और जल-स्तर बढ़ाने के लिए विज्ञान वाटिका में एक टैन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली स्थापित की गई है, नर्सरी में एक कम्पोस्टिंग यूनिट बनाई गई है, कैन्टीन के समीप एक न्यून-लागत वाटर फिल्टर स्थापित किया गया है तथा बुनाई अनुभाग में एक प्लास्टिक वीविंग मशीन लगाई गई है। सी.ई.ई. और डी.ए. ने राष्ट्रीय बाल भवन को ये प्रणालियां उपहार में दी हैं। मांडी स्थित जवाहर बाल भवन को भी एक पैराबोलिक सौर कुकर तथा मोबाईल पेपर रिसाइकि्ंलग यूनिट प्रदान की गई है। सी.ई.ई. दिल्ली ने सृजनात्मक कला में बुनाई अनुभाग को वेस्ट प्लास्टिक की बुनाई के लिए एक करघा भी उपहार में दिया है। नामक न्यूज लेटर भी प्रकाशित करता है, जो पर्यावरण सम्बंधी मुद्दों को समर्पित है। बाल भवन द्वारा लिखित एवं निर्मित गीतों की एक सी.डी. और कैसेट भी संकलित की गई है।